सुषेण: Difference between revisions
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<p id="3">(3) जम्बूद्वीप में भरतक्षेत्र के कनकपुर नगर का राजा । इसकी एक गुणमंजरी नाम की नृत्यकारिणी थी । भरतक्षेत्र के विंध्यशक्ति ने इससे युद्ध किया और युद्ध में इसे पराजित कर बलपूर्वक इससे इसकी नृत्यकारिणी को छीन लिया था । इस घटना से दु:खी होकर इसने सुव्रत जिनेन्द्र से दीक्षा ले ली थी तथा वैरपूर्वक मरकर यह प्राणत स्वर्ग ने देव हुआ था । स्वर्ग से चयकर द्वारावती नगरी के राजा यहाँँ की दूसरी रानी उषा का द्विपृष्ठ नाम का नारायण पुत्र हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 58.61-84 </span></p> | |||
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Revision as of 21:49, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- वरांग चरित्र/सर्ग/श्लोक वरांग का सौतेला भार्इ था। (11/85)। वरांग को राज्य मिलने पर कुपित हो, वरांग को छल से राज्य से दूर भेज स्वयं राज्य प्राप्त किया (20/7)। फिर किसी शत्रु से युद्ध होने पर स्वयं डरकर भाग गया (20/11)।
- म.पु./58/श्लोक कनकपुर नगर का राजा था (61)। गुणमंजरी नृत्यकारिणी के अर्थ भाई विन्ध्यशक्ति से युद्ध किया। युद्ध में हार जाने पर नृत्यकारिणी इससे बलात्कार पूर्वक छीन ली गयी (73)। मानभंग से दु:खित हो दीक्षा लेकर कठिन तप किया। अन्त में वैर पूर्वक मरकर प्राणत स्वर्ग में देव हुआ (78-79)। यह द्विपृष्ठ नारायण का पूर्व का दूसरा भव है।-देखें द्विपृष्ठ ।
पुराणकोष से
(1) राजा शान्तन का पौत्र और महासेन का पुत्र । हरिवंशपुराण 48.40-41
(2) राम का पक्षधर एक योद्धा । यह महासैनिकों के मध्य रथ पर सवार होकर रणागण में पहुंचा था । पद्मपुराण 58.13, 17
(3) जम्बूद्वीप में भरतक्षेत्र के कनकपुर नगर का राजा । इसकी एक गुणमंजरी नाम की नृत्यकारिणी थी । भरतक्षेत्र के विंध्यशक्ति ने इससे युद्ध किया और युद्ध में इसे पराजित कर बलपूर्वक इससे इसकी नृत्यकारिणी को छीन लिया था । इस घटना से दु:खी होकर इसने सुव्रत जिनेन्द्र से दीक्षा ले ली थी तथा वैरपूर्वक मरकर यह प्राणत स्वर्ग ने देव हुआ था । स्वर्ग से चयकर द्वारावती नगरी के राजा यहाँँ की दूसरी रानी उषा का द्विपृष्ठ नाम का नारायण पुत्र हुआ । महापुराण 58.61-84
(4) जम्बूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में पुष्कलावती देश के अरिष्टपुर नगर के राजा वासव और रानी वसुमती का पुत्र इसकी माता इसके मोह में पड़कर दीक्षा न ले सकी थी । महापुराण 71.400-401