सूर्योदय: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) एक सुगन्धित चूर्ण । जीवन्धरकुमार ने सुगन्धि में इसकी अपेक्षा चन्द्रोदय चूर्ण को परीक्षा करके अधिक श्रेष्ठ बताया था । महापुराण 75.348-357</p> | <p id="1"> (1) एक सुगन्धित चूर्ण । जीवन्धरकुमार ने सुगन्धि में इसकी अपेक्षा चन्द्रोदय चूर्ण को परीक्षा करके अधिक श्रेष्ठ बताया था । <span class="GRef"> महापुराण 75.348-357 </span></p> | ||
<p id="2">(2) विद्याधरों का नगर । यहाँ का राजा सेना सहित रावण के पास आया था । पद्मपुराण 8.362, 55.85, 88</p> | <p id="2">(2) विद्याधरों का नगर । यहाँ का राजा सेना सहित रावण के पास आया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 8.362, 55.85, 88 </span></p> | ||
<p id="3">(3) विनीता नगरी के राजा सुप्रभ और रानी प्रह्लादना का पुत्र । चन्द्रोदय का यह बड़ा भाई था । ये दोनों भाई तीर्थंकर वृषभदेव के साथ दीक्षित हो गये थे किन्तु मुनि पद पर स्थिर न रह सके । अन्त में भ्रष्ट होकर वे मरीचि के शिष्य हो गये थे । यह मरकर राजा हरपति का कुलंकर नाम का पुत्र हुआ । पद्मपुराण 85.45-50</p> | <p id="3">(3) विनीता नगरी के राजा सुप्रभ और रानी प्रह्लादना का पुत्र । चन्द्रोदय का यह बड़ा भाई था । ये दोनों भाई तीर्थंकर वृषभदेव के साथ दीक्षित हो गये थे किन्तु मुनि पद पर स्थिर न रह सके । अन्त में भ्रष्ट होकर वे मरीचि के शिष्य हो गये थे । यह मरकर राजा हरपति का कुलंकर नाम का पुत्र हुआ । <span class="GRef"> पद्मपुराण 85.45-50 </span></p> | ||
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Revision as of 21:49, 5 July 2020
(1) एक सुगन्धित चूर्ण । जीवन्धरकुमार ने सुगन्धि में इसकी अपेक्षा चन्द्रोदय चूर्ण को परीक्षा करके अधिक श्रेष्ठ बताया था । महापुराण 75.348-357
(2) विद्याधरों का नगर । यहाँ का राजा सेना सहित रावण के पास आया था । पद्मपुराण 8.362, 55.85, 88
(3) विनीता नगरी के राजा सुप्रभ और रानी प्रह्लादना का पुत्र । चन्द्रोदय का यह बड़ा भाई था । ये दोनों भाई तीर्थंकर वृषभदेव के साथ दीक्षित हो गये थे किन्तु मुनि पद पर स्थिर न रह सके । अन्त में भ्रष्ट होकर वे मरीचि के शिष्य हो गये थे । यह मरकर राजा हरपति का कुलंकर नाम का पुत्र हुआ । पद्मपुराण 85.45-50