संकट हरण व्रत: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="HindiText">तीन वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद, माघ व चैत्रमास में शु. | <span class="HindiText">तीन वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद, माघ व चैत्रमास में शु.13 से शु.15 तक उपवास। तथा </span><span class="SanskritText">'ओं ह्राँ, ह्रीं ह्रूँ ह्रों ह्र: असि आ उसा सर्व शान्ति कुरु कुरु स्वाहा'</span><span class="HindiText"> इस मंत्र का त्रिकाल जप करे। (व्रत विधान सं./42)।</span> | ||
<noinclude> | |||
[[ | [[ संकट | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[Category:स]] | [[ संकट-प्राहर | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: स]] |
Revision as of 21:49, 5 July 2020
तीन वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद, माघ व चैत्रमास में शु.13 से शु.15 तक उपवास। तथा 'ओं ह्राँ, ह्रीं ह्रूँ ह्रों ह्र: असि आ उसा सर्व शान्ति कुरु कुरु स्वाहा' इस मंत्र का त्रिकाल जप करे। (व्रत विधान सं./42)।