संघातन: Difference between revisions
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<p class="HindiText"> <strong>* पाँचां शरीरों की संघातन-परिशातन कृति।</strong> दे.(ध. | <p class="HindiText"> <strong>* पाँचां शरीरों की संघातन-परिशातन कृति।</strong> दे.(ध.9/355-451)।</p> | ||
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Revision as of 21:49, 5 July 2020
1. संघातन कृति का लक्षण
ध.9/4,1,69/326/9 तत्थअप्पिदसरीरपरमाणूणं णिज्जराए विणा जो संचयो सा संघादणकदी णाम। =(पाँचों शरीरों में से) विवक्षित शरीर के परमाणुओं का निर्जरा के बिना जो संचय होता है उसे संघातन कृति कहते हैं।
2. संघातन-परिशातन (उभय रूप) कृति का लक्षण
ध.9/4,1,69/327/2 अप्पिदसरीरस्स पोग्गलक्खंधाणमागम-णिज्जराओ संघादण-परिसादणकदी णाम। =(पाँचों शरीरों में से) विवक्षित शरीर के पुद्गल स्कन्धों का आगमन और निर्जरा का एक साथ होना संघातन-परिशातन कृति कही जाती है।
* पाँचां शरीरों की संघातन-परिशातन कृति। दे.(ध.9/355-451)।