संजयत: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> म.पु./ | <span class="HindiText"> म.पु./59/श्लोक सं.पूर्व भव सं.7 में सिंहपुर नगर का राजा सिंहसेन (146) छठें में सल्लकी वन में अशनिघोष नामक हाथी हुआ (197)। 5वें रविप्रभ विमान में देव (217-218) चौथे में राजपुत्र रश्मिदेव तीसरे में कापिष्ठ स्वर्ग में देव (237-238) दूसरे में राजा अपराजित का पुत्र (239) पूर्व भव में सर्वार्थसिद्धि में देव था (273)। वर्तमान भव में गन्धमालिनी देश में वीतशोक नगर के राजा वैजयन्त का पुत्र था (109-110) विरक्त होकर दीक्षा ग्रहण की (112)। ध्यानस्थ अवस्था में एक विद्युत द्रंष्ट नामक विद्याधर ने इनको उठाकर इला पर्वत पर नदी में डुबो दिया। तथा पत्थरों की वर्षा की। इस घोर उपसर्ग को जीतने के फलस्वरूप मोक्ष प्राप्त किया (116-126)। (म.पु./59/306-307), (प.पु./5/27-44)।</span> | ||
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Revision as of 21:49, 5 July 2020
म.पु./59/श्लोक सं.पूर्व भव सं.7 में सिंहपुर नगर का राजा सिंहसेन (146) छठें में सल्लकी वन में अशनिघोष नामक हाथी हुआ (197)। 5वें रविप्रभ विमान में देव (217-218) चौथे में राजपुत्र रश्मिदेव तीसरे में कापिष्ठ स्वर्ग में देव (237-238) दूसरे में राजा अपराजित का पुत्र (239) पूर्व भव में सर्वार्थसिद्धि में देव था (273)। वर्तमान भव में गन्धमालिनी देश में वीतशोक नगर के राजा वैजयन्त का पुत्र था (109-110) विरक्त होकर दीक्षा ग्रहण की (112)। ध्यानस्थ अवस्था में एक विद्युत द्रंष्ट नामक विद्याधर ने इनको उठाकर इला पर्वत पर नदी में डुबो दिया। तथा पत्थरों की वर्षा की। इस घोर उपसर्ग को जीतने के फलस्वरूप मोक्ष प्राप्त किया (116-126)। (म.पु./59/306-307), (प.पु./5/27-44)।