संजयंत: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p id="1"> (1) जम्बूद्वीप के पश्चिम विदेहक्षेत्र में गन्धमालिनी देश के वीतशोकनगर के राजा वैजयन्त और रानी सर्वश्री का ज्येष्ठ पुत्र । इसके छोटे भाई का नाम जयन्त और पुत्र का नाम वैजयन्त था । ये दोनों भाई स्वयंभू मुनि से अपने पिता के साथ वैजयन्त को राज्य सौंपकर दीक्षित हो गये थे । विद्याघर | <p id="1"> (1) जम्बूद्वीप के पश्चिम विदेहक्षेत्र में गन्धमालिनी देश के वीतशोकनगर के राजा वैजयन्त और रानी सर्वश्री का ज्येष्ठ पुत्र । इसके छोटे भाई का नाम जयन्त और पुत्र का नाम वैजयन्त था । ये दोनों भाई स्वयंभू मुनि से अपने पिता के साथ वैजयन्त को राज्य सौंपकर दीक्षित हो गये थे । विद्याघर विद्युद्दंष्ट्र ने पूर्वभव के वैर के कारण इन्हें भीम वन से उठाकर भरतक्षेत्र के इला पर्वत में पांच नदियों के संगम पर छोड़ा था और इसी के कहने से विद्याधरों ने इन्हें अनेक कष्ट दिये थे । इन्होंने उपसर्गों को सहन किया और घोर तपस्या करके मुक्ति प्राप्त की । <span class="GRef"> महापुराण 59.109-126, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 1.51-52, 5. 25-29, 146-273, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.5-16 </span></p> | ||
<p id="2">(2) कौरव पक्ष का एक योद्धा राजा । यह पराजित होकर युद्ध से भाग गया था । पांडवपुराण 20.149</p> | <p id="2">(2) कौरव पक्ष का एक योद्धा राजा । यह पराजित होकर युद्ध से भाग गया था । <span class="GRef"> पांडवपुराण 20.149 </span></p> | ||
<p id="3">(3) एक मुनि । इनकी प्रतिमा ह्रीमन्त पर्वत पर स्थापित की गयी थी । पोदनपुर के राजा श्रीविजय ने यही पर महाज्वाला-विद्या की सिद्धि की थी । कुमार | <p id="3">(3) एक मुनि । इनकी प्रतिमा ह्रीमन्त पर्वत पर स्थापित की गयी थी । पोदनपुर के राजा श्रीविजय ने यही पर महाज्वाला-विद्या की सिद्धि की थी । कुमार प्रद्युम्न ने भी यही विद्या सिद्ध की थी । <span class="GRef"> महापुराण 62. 272-274, 72. 80 </span></p> | ||
<p id="4">(4) हरिवंशी राजा श्रीवृक्ष का पुत्र और कुणिम का पिता । पद्मपुराण 21.41-50</p> | <p id="4">(4) हरिवंशी राजा श्रीवृक्ष का पुत्र और कुणिम का पिता । <span class="GRef"> पद्मपुराण 21.41-50 </span></p> | ||
<p id="5">(5) चरमशरीरी जयकुमार का छोटा भाई । यह अपने भाई जयकुमार के साथ दीक्षित हो गया था । महापुराण 47.280-283</p> | <p id="5">(5) चरमशरीरी जयकुमार का छोटा भाई । यह अपने भाई जयकुमार के साथ दीक्षित हो गया था । <span class="GRef"> महापुराण 47.280-283 </span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ संजयत | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ संजयन्ती | अगला पृष्ठ ]] | [[ संजयन्ती | अगला पृष्ठ ]] |
Revision as of 21:49, 5 July 2020
(1) जम्बूद्वीप के पश्चिम विदेहक्षेत्र में गन्धमालिनी देश के वीतशोकनगर के राजा वैजयन्त और रानी सर्वश्री का ज्येष्ठ पुत्र । इसके छोटे भाई का नाम जयन्त और पुत्र का नाम वैजयन्त था । ये दोनों भाई स्वयंभू मुनि से अपने पिता के साथ वैजयन्त को राज्य सौंपकर दीक्षित हो गये थे । विद्याघर विद्युद्दंष्ट्र ने पूर्वभव के वैर के कारण इन्हें भीम वन से उठाकर भरतक्षेत्र के इला पर्वत में पांच नदियों के संगम पर छोड़ा था और इसी के कहने से विद्याधरों ने इन्हें अनेक कष्ट दिये थे । इन्होंने उपसर्गों को सहन किया और घोर तपस्या करके मुक्ति प्राप्त की । महापुराण 59.109-126, पद्मपुराण 1.51-52, 5. 25-29, 146-273, हरिवंशपुराण 27.5-16
(2) कौरव पक्ष का एक योद्धा राजा । यह पराजित होकर युद्ध से भाग गया था । पांडवपुराण 20.149
(3) एक मुनि । इनकी प्रतिमा ह्रीमन्त पर्वत पर स्थापित की गयी थी । पोदनपुर के राजा श्रीविजय ने यही पर महाज्वाला-विद्या की सिद्धि की थी । कुमार प्रद्युम्न ने भी यही विद्या सिद्ध की थी । महापुराण 62. 272-274, 72. 80
(4) हरिवंशी राजा श्रीवृक्ष का पुत्र और कुणिम का पिता । पद्मपुराण 21.41-50
(5) चरमशरीरी जयकुमार का छोटा भाई । यह अपने भाई जयकुमार के साथ दीक्षित हो गया था । महापुराण 47.280-283