संशयसमा जाति: Difference between revisions
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<span class="SanskritText">न्या.सू./मू. व भाष्य/ | <span class="SanskritText">न्या.सू./मू. व भाष्य/5/1/14/293/13 सामान्यदृष्टान्तयोरिन्द्रियकत्वे समाने नित्यानित्यसाधर्म्यात्संशयसम:।14। अनित्य: शब्द: प्रयत्नान्तरीयकत्वाद् घटवदित्युक्ते हेतौ संशयेन प्रत्यवतिष्ठते। सति प्रयत्नानन्तरीयकत्वे अस्त्येवास्य नित्येन सामान्येन साधर्म्यमैन्द्रियकत्वमस्ति च घटेनानित्येनातो नित्यानित्यसाधर्म्यादनिवृत्त: संशयइति अस्योत्तरम् ।14।</span> = <span class="HindiText">सामान्य (शब्दत्व) और दृष्टान्त (घट) दोनों के एकेन्द्रियत्व समान होने पर नित्य, अनित्यों के साधर्म्य से संशयसम प्रतिषेध उठा दिया जाता है।14। जैसे - शब्द अनित्य है प्रयत्न से उत्पन्न होने वाले घट की भाँति। ऐसा कहने पर हेतु में सन्देह खड़ा रहता है। प्रयत्न की समानता रहने पर भी इसका नित्य सामान्य के साथ ऐन्द्रियकत्व रूप साधर्म्य है और अनित्य घट के साथ भी समानधर्मता है, इसलिए नित्यानित्य के साधर्म्य से संदेह निवृत्त न हुआ। (श्लो.वा.2/1/3/न्या.380/506/13 में इस पर चर्चा)।</span> | ||
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Revision as of 21:49, 5 July 2020
न्या.सू./मू. व भाष्य/5/1/14/293/13 सामान्यदृष्टान्तयोरिन्द्रियकत्वे समाने नित्यानित्यसाधर्म्यात्संशयसम:।14। अनित्य: शब्द: प्रयत्नान्तरीयकत्वाद् घटवदित्युक्ते हेतौ संशयेन प्रत्यवतिष्ठते। सति प्रयत्नानन्तरीयकत्वे अस्त्येवास्य नित्येन सामान्येन साधर्म्यमैन्द्रियकत्वमस्ति च घटेनानित्येनातो नित्यानित्यसाधर्म्यादनिवृत्त: संशयइति अस्योत्तरम् ।14। = सामान्य (शब्दत्व) और दृष्टान्त (घट) दोनों के एकेन्द्रियत्व समान होने पर नित्य, अनित्यों के साधर्म्य से संशयसम प्रतिषेध उठा दिया जाता है।14। जैसे - शब्द अनित्य है प्रयत्न से उत्पन्न होने वाले घट की भाँति। ऐसा कहने पर हेतु में सन्देह खड़ा रहता है। प्रयत्न की समानता रहने पर भी इसका नित्य सामान्य के साथ ऐन्द्रियकत्व रूप साधर्म्य है और अनित्य घट के साथ भी समानधर्मता है, इसलिए नित्यानित्य के साधर्म्य से संदेह निवृत्त न हुआ। (श्लो.वा.2/1/3/न्या.380/506/13 में इस पर चर्चा)।