दर्प: Difference between revisions
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भगवती आराधना / विजयोदया टीका/613/812/3 <span class="SanskritText">दर्पोऽनेकप्रकार:। क्रीड़ासंघर्षं, व्यायामकुहकं, रसायनसेवा, हास्य, गीतशृङ्गारवचनं, प्लवनमित्यादिको दर्प:।</span> =<span class="HindiText">दर्प के अनेक प्रकार हैं–क्रीड़ा में स्पर्धा, व्यायाम, कपट, रसायन सेवा, हास्य, गीत और शृंगारवचन, दौड़ना और कूदना ये दर्प के प्रकार हैं। </span> | |||
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Revision as of 19:11, 17 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
भगवती आराधना / विजयोदया टीका/613/812/3 दर्पोऽनेकप्रकार:। क्रीड़ासंघर्षं, व्यायामकुहकं, रसायनसेवा, हास्य, गीतशृङ्गारवचनं, प्लवनमित्यादिको दर्प:। =दर्प के अनेक प्रकार हैं–क्रीड़ा में स्पर्धा, व्यायाम, कपट, रसायन सेवा, हास्य, गीत और शृंगारवचन, दौड़ना और कूदना ये दर्प के प्रकार हैं।
पुराणकोष से
अहंकार । विघ्नों की शान्ति के लिए इसका विनाश आवश्यक है । इसके शमन के लिए ‘‘दर्पमथनाय नम:’’ इस मंत्र का जप किया जाता है । महापुराण 40.6