प्रकीर्णक देव: Difference between revisions
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तिलोयपण्णत्ति/3/67 <span class="PrakritText">पइण्णया पुरिजणसरिच्छा। </span>= <span class="HindiText">प्रकीर्णक देव पौर जन अर्थात् प्रजा के सदृश होते हैं। ( त्रिलोकसार/223-224 )। <br /> | |||
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Revision as of 19:12, 17 July 2020
सर्वार्थसिद्धि/4/4/239/6 प्रकीर्णकाः पौरजानपदकल्पाः। = जो गाँव और शहर में रहनेवालों के समान हैं उन्हें प्रकीर्णक कहते हैं। ( राजवार्तिक/4/4/8/213/8 ); ( महापुराण/22/29 )।
तिलोयपण्णत्ति/3/67 पइण्णया पुरिजणसरिच्छा। = प्रकीर्णक देव पौर जन अर्थात् प्रजा के सदृश होते हैं। ( त्रिलोकसार/223-224 )।
- भवनवासी आदि के इन्द्रों के परिवार में प्रकीर्णकों का प्रमाण - देखें भवनवासी आदि देव । वह वह नाम।