प्रशस्त: Difference between revisions
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सर्वार्थसिद्धि/9/28/446/1 <span class="SanskritText"> कर्मनिर्दहनसामर्थ्यात्प्रशस्तम् । </span>= <span class="HindiText">जो (ध्यान) कर्मों को निर्दहन करने की सामर्थ्य से युक्त है, वह प्रशस्त है । ( राजवार्तिक/9/28/4/627/37 ) । </span> | |||
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Revision as of 19:13, 17 July 2020
सर्वार्थसिद्धि/9/28/446/1 कर्मनिर्दहनसामर्थ्यात्प्रशस्तम् । = जो (ध्यान) कर्मों को निर्दहन करने की सामर्थ्य से युक्त है, वह प्रशस्त है । ( राजवार्तिक/9/28/4/627/37 ) ।