सुखानुबंध: Difference between revisions
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<span class="SanskritText"> | <span class="SanskritText"> सर्वार्थसिद्धि/7/37/372/6 अनुभूतप्रीतिविशेषस्मृतिसमन्वाहार: सुखानुबन्ध:।</span> = <span class="HindiText">अनुभव में आये हुए विविध सुखों का पुन:-पुन: स्मरण करना सुखानुबन्ध है। ( राजवार्तिक/7/37/6/559/7 )</span> | ||
<p><span class="HindiText"> | <p><span class="HindiText"> राजवार्तिक/ हि./7/37/581 पूर्वे सुख भोगे थे तिनि सूं प्रीति विशेष के निमित्त तै बार-बार याद करना तथा वर्तमान में सुख ही चाहना सो सुखानुबन्ध है।</span></p> | ||
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Revision as of 19:16, 17 July 2020
सर्वार्थसिद्धि/7/37/372/6 अनुभूतप्रीतिविशेषस्मृतिसमन्वाहार: सुखानुबन्ध:। = अनुभव में आये हुए विविध सुखों का पुन:-पुन: स्मरण करना सुखानुबन्ध है। ( राजवार्तिक/7/37/6/559/7 )
राजवार्तिक/ हि./7/37/581 पूर्वे सुख भोगे थे तिनि सूं प्रीति विशेष के निमित्त तै बार-बार याद करना तथा वर्तमान में सुख ही चाहना सो सुखानुबन्ध है।