स्वाहा: Difference between revisions
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भगवती आराधना / विजयोदया टीका/1739/1566/5 <p class="SanskritText">स्वाहाकारान्ता तद्रहितमन्त्रस्य।</p> | |||
<p class="HindiText">जिसके अन्त में स्वाहाकार है, वह विद्या है। मन्त्र स्वाहाकार से रहित होता है।</p> | <p class="HindiText">जिसके अन्त में स्वाहाकार है, वह विद्या है। मन्त्र स्वाहाकार से रहित होता है।</p> | ||
Revision as of 19:17, 17 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
भगवती आराधना / विजयोदया टीका/1739/1566/5
स्वाहाकारान्ता तद्रहितमन्त्रस्य।
जिसके अन्त में स्वाहाकार है, वह विद्या है। मन्त्र स्वाहाकार से रहित होता है।
पुराणकोष से
चक्रपुर नगर के राजा चक्रध्वज के पुरोहित धूमकेश की स्त्री । इसके पुत्र का नाम पिंगल था । पद्मपुराण 26.4, 6, देखें पिंगल
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