अर्थापदत्व: Difference between revisions
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धवला पुस्तक /1,1,7/157/2 ण च संतमत्थमागमो ण परूवेई तस्स अत्थावयत्तप्पसंगादो।= आगम, जिस प्रकारसे वस्तु व्यवस्था है उसी प्रकारसे प्ररूपण न करे, ऐसा नहीं हो सकता। यदि ऐसा माना जावे तो उस आगमको अर्थापदत्व अर्थात् अनर्थ कपदत्वका प्रसंग प्राप्त हो जायगा। | |||
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Revision as of 14:16, 20 July 2020
धवला पुस्तक /1,1,7/157/2 ण च संतमत्थमागमो ण परूवेई तस्स अत्थावयत्तप्पसंगादो।= आगम, जिस प्रकारसे वस्तु व्यवस्था है उसी प्रकारसे प्ररूपण न करे, ऐसा नहीं हो सकता। यदि ऐसा माना जावे तो उस आगमको अर्थापदत्व अर्थात् अनर्थ कपदत्वका प्रसंग प्राप्त हो जायगा।