अभिनिवेश: Difference between revisions
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[[स्वयंभू स्त्रोत्र]] / श्लोक संख्या १७ में उद्धृत "ममेदमित्यभिनिवेशः। शश्वदनात्मीयेषु स्वतनुप्रमुखेषु कर्मजनितेषु। आत्मीयाभिनिवेशो ममकारो मया यथा देहः।<br>= `यह मेरा है' इस भावको अभिनिवेश कहते हैं `शाश्वत रूपसे अनात्मीय तथा कर्मजनित स्वशरीर आदि द्रव्योंमें आत्मीयपनेका भाव अभिनिवेश कहलाता है-जैसे `यह शरीर मेरा है' ऐसा कहना।< | [[स्वयंभू स्त्रोत्र]] / श्लोक संख्या १७ में उद्धृत "ममेदमित्यभिनिवेशः। शश्वदनात्मीयेषु स्वतनुप्रमुखेषु कर्मजनितेषु। आत्मीयाभिनिवेशो ममकारो मया यथा देहः।<br> | ||
<p class="HindiSentence">= `यह मेरा है' इस भावको अभिनिवेश कहते हैं `शाश्वत रूपसे अनात्मीय तथा कर्मजनित स्वशरीर आदि द्रव्योंमें आत्मीयपनेका भाव अभिनिवेश कहलाता है-जैसे `यह शरीर मेरा है' ऐसा कहना।</p> | |||
सं.स्तो./टी/१२/२६ अहमस्य सर्वस्य स्त्र्यादिविषयस्य स्वामीति क्रिया अहंक्रियाः। ताभिः प्रसक्तः संलग्नः प्रवृत्तो वा मिथ्याः, असत्यो, अध्यवसायो, अभिनिवेशः। सैव दोषो।<br> | |||
<p class="HindiSentence">= मैं इन सर्व स्त्री आदि विषयोंका स्वामी हूँ, ऐसी क्रियाको अहंक्रिया कहते हैं। इनसे प्रसक्त या संलग्न प्रवृत्ति मिथ्या है, असत्य है, अध्यवसाय है, अभिनिवेश है। वह ही महान् दोष है।</p> | |||
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[[Category:स्वयंभू स्त्रोत्र]] |
Revision as of 01:10, 8 May 2009
स्वयंभू स्त्रोत्र / श्लोक संख्या १७ में उद्धृत "ममेदमित्यभिनिवेशः। शश्वदनात्मीयेषु स्वतनुप्रमुखेषु कर्मजनितेषु। आत्मीयाभिनिवेशो ममकारो मया यथा देहः।
= `यह मेरा है' इस भावको अभिनिवेश कहते हैं `शाश्वत रूपसे अनात्मीय तथा कर्मजनित स्वशरीर आदि द्रव्योंमें आत्मीयपनेका भाव अभिनिवेश कहलाता है-जैसे `यह शरीर मेरा है' ऐसा कहना।
सं.स्तो./टी/१२/२६ अहमस्य सर्वस्य स्त्र्यादिविषयस्य स्वामीति क्रिया अहंक्रियाः। ताभिः प्रसक्तः संलग्नः प्रवृत्तो वा मिथ्याः, असत्यो, अध्यवसायो, अभिनिवेशः। सैव दोषो।
= मैं इन सर्व स्त्री आदि विषयोंका स्वामी हूँ, ऐसी क्रियाको अहंक्रिया कहते हैं। इनसे प्रसक्त या संलग्न प्रवृत्ति मिथ्या है, असत्य है, अध्यवसाय है, अभिनिवेश है। वह ही महान् दोष है।