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[[सर्वार्थसिद्धि]] अध्याय संख्या ९/२०/४३९ कथमस्याभ्यन्तरत्वम्। मनोनियमनार्थत्वात्।<br>= प्रश्न-इस तपके अभ्यन्तरतपना कैसे है? उत्तर-मनका नियमन करनेवाला होनेसे इसे आभ्यन्तर तप कहते हैं।< | [[सर्वार्थसिद्धि]] अध्याय संख्या ९/२०/४३९ कथमस्याभ्यन्तरत्वम्। मनोनियमनार्थत्वात्।<br> | ||
<p class="HindiSentence">= प्रश्न-इस तपके अभ्यन्तरतपना कैसे है? उत्तर-मनका नियमन करनेवाला होनेसे इसे आभ्यन्तर तप कहते हैं।</p> | |||
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Revision as of 01:17, 8 May 2009
सर्वार्थसिद्धि अध्याय संख्या ९/२०/४३९ कथमस्याभ्यन्तरत्वम्। मनोनियमनार्थत्वात्।
= प्रश्न-इस तपके अभ्यन्तरतपना कैसे है? उत्तर-मनका नियमन करनेवाला होनेसे इसे आभ्यन्तर तप कहते हैं।