द्रोणमुख: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
तिलोयपण्णत्ति/4/1400 <span class="PrakritText">दोणमुहाभिधाणं सरिवइवेलाए वेढियं जाण।</span> =<span class="HindiText">समुद्र की वेला से वेष्टित द्रोणमुख होता है। </span> धवला 13/5,5,63/335/10 <span class="SanskritText"> समुद्रनिम्नगासमीपस्थमवतरन्नौ निबहं द्रोणमुखं नाम।</span> =<span class="HindiText">जो समुद्र और नदी के समीप में स्थित है, और | तिलोयपण्णत्ति/4/1400 <span class="PrakritText">दोणमुहाभिधाणं सरिवइवेलाए वेढियं जाण।</span> =<span class="HindiText">समुद्र की वेला से वेष्टित द्रोणमुख होता है। </span> धवला 13/5,5,63/335/10 <span class="SanskritText"> समुद्रनिम्नगासमीपस्थमवतरन्नौ निबहं द्रोणमुखं नाम।</span> =<span class="HindiText">जो समुद्र और नदी के समीप में स्थित है, और जहाँ नौकाएँ आती जाती हैं, उसकी द्रोणमुख संज्ञा है।</span><br> | ||
महापुराण/16/173,175 <span class="SanskritText">भवेद् द्रोणमुखं नाम्ना निम्नगातटमाश्रितम् ।...।173। शतान्यष्टौ च चत्वारि द्वे च स्युर्ग्रामसंख्यया। राजधान्यास्तथा द्रोणमुखकर्वटयो: क्रमात् ।175।</span> =<span class="HindiText">जो किसी नदी के किनारे पर हो उसे द्रोणमुख कहते हैं।173। एक द्रोणमुख में 400 | महापुराण/16/173,175 <span class="SanskritText">भवेद् द्रोणमुखं नाम्ना निम्नगातटमाश्रितम् ।...।173। शतान्यष्टौ च चत्वारि द्वे च स्युर्ग्रामसंख्यया। राजधान्यास्तथा द्रोणमुखकर्वटयो: क्रमात् ।175।</span> =<span class="HindiText">जो किसी नदी के किनारे पर हो उसे द्रोणमुख कहते हैं।173। एक द्रोणमुख में 400 गाँव होते हैं।175। त्रिलोकसार/674-676 (नदी करि वेष्टित द्रोण है।) </span> | ||
<p> </p> | <p> </p> | ||
Revision as of 14:23, 20 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
तिलोयपण्णत्ति/4/1400 दोणमुहाभिधाणं सरिवइवेलाए वेढियं जाण। =समुद्र की वेला से वेष्टित द्रोणमुख होता है। धवला 13/5,5,63/335/10 समुद्रनिम्नगासमीपस्थमवतरन्नौ निबहं द्रोणमुखं नाम। =जो समुद्र और नदी के समीप में स्थित है, और जहाँ नौकाएँ आती जाती हैं, उसकी द्रोणमुख संज्ञा है।
महापुराण/16/173,175 भवेद् द्रोणमुखं नाम्ना निम्नगातटमाश्रितम् ।...।173। शतान्यष्टौ च चत्वारि द्वे च स्युर्ग्रामसंख्यया। राजधान्यास्तथा द्रोणमुखकर्वटयो: क्रमात् ।175। =जो किसी नदी के किनारे पर हो उसे द्रोणमुख कहते हैं।173। एक द्रोणमुख में 400 गाँव होते हैं।175। त्रिलोकसार/674-676 (नदी करि वेष्टित द्रोण है।)
पुराणकोष से
नदी के तटवर्ती चार सौ ग्रामों का समूह । यह व्यवसायों का केन्द्र होता है । यहाँ सभी जातियाँ रहती है । महापुराण 16.173, 175, हरिवंशपुराण 2.3