अयोगव्यवच्छेद: Difference between revisions
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<OL start=1 class="HindiNumberList"> <LI> अयोगव्यवच्छेदात्मक एककार-<b>देखे </b>[[एव]] । </LI> | |||
<LI> अयोगव्यवच्छेद नामक एक न्याय विषयक ग्रन्थ, जिसे श्वेताम्बराचार्य हेमचन्द्रसूरि (ई.१०८८-११७३) ने केवल ३२ श्लोकोंमें रचा था, और इसी कारणसे जिसको द्वात्रिंशितिका भी कहते हैं। मल्लिषेणसूरिने ई. १२९२ में इसपर स्याद्वादमंजरी नामकी टीका रची। </LI> </OL> | |||
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Revision as of 01:29, 8 May 2009
- अयोगव्यवच्छेदात्मक एककार-देखे एव ।
- अयोगव्यवच्छेद नामक एक न्याय विषयक ग्रन्थ, जिसे श्वेताम्बराचार्य हेमचन्द्रसूरि (ई.१०८८-११७३) ने केवल ३२ श्लोकोंमें रचा था, और इसी कारणसे जिसको द्वात्रिंशितिका भी कहते हैं। मल्लिषेणसूरिने ई. १२९२ में इसपर स्याद्वादमंजरी नामकी टीका रची।