अन्वयी: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class="SanskritText">सर्वार्थसिद्धि अध्याय 5/38/309 अन्वयिनो गुणाः।</p> | |||
<p class="HindiText">= गुण अन्वयी होते हैं।</p> | |||
<p>(राजवार्तिक अध्याय 4/42,11/252/14) ( प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 80) ( पंचाध्यायी / पूर्वार्ध श्लोक 144)।</p> | |||
<p class="SanskritText">पंचाध्यायी / पूर्वार्ध श्लोक 138 तद्वाक्यान्तरमेतद्यया गुणाः सहभुवोऽपि चान्वयिनः। अर्थाच्चैकार्थत्वादर्थादेकार्थवाचकाः सर्वे ॥138॥</p> | |||
<p class="HindiText">= गुण, सहभू और अन्वयी तथा अर्थ ये सब शब्द अर्थकी दृष्टिसे एकार्थक होनेके कारण एकार्थवाचक हैं।</p> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 22:36, 22 July 2020
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 5/38/309 अन्वयिनो गुणाः।
= गुण अन्वयी होते हैं।
(राजवार्तिक अध्याय 4/42,11/252/14) ( प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 80) ( पंचाध्यायी / पूर्वार्ध श्लोक 144)।
पंचाध्यायी / पूर्वार्ध श्लोक 138 तद्वाक्यान्तरमेतद्यया गुणाः सहभुवोऽपि चान्वयिनः। अर्थाच्चैकार्थत्वादर्थादेकार्थवाचकाः सर्वे ॥138॥
= गुण, सहभू और अन्वयी तथा अर्थ ये सब शब्द अर्थकी दृष्टिसे एकार्थक होनेके कारण एकार्थवाचक हैं।