अंजनगिरि: Difference between revisions
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Revision as of 22:38, 22 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
1. नन्दीश्वर द्वीप की पूर्वादि दिशाओं में ढोल के आकार के (Cylindrical) चार पर्वत हैं। इनपर चार चैत्यालय हैं। काले रंग के होने के कारण इनका नाम अंजनगिरि है - देखें लोक - 4.5। 2. रुचक पर्वतस्थ वर्द्धमान कूट का रक्षक एक दिग्गजेन्द्रदेव - देखें लोक - 5.13।
पुराणकोष से
(1) मेरु पर्वत के दक्षिण की ओर सीतोदा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित कूट । हरिवंशपुराण 5.206
(2) नन्दीश्वर द्वीप के मध्य चौरासी हजार योजन गहरे, ढोल के समान आकार तथा वज्रमय मूल वाले, चारों दिशाओं में स्थित काले चार शिखरों और चार जिनालयों से युक्त, चार पर्वत । महापुराण 8.324 हरिवंशपुराण 5.586-591, 646-654, 676-678 देखें नन्दीश्वर
(3) रुचकवर द्वीप के रुचकवर पर्वत की उत्तरदिशा में स्थित वर्द्धमान कूट का निवासी, एक पल्य की आयु वाला दिग्गजेन्द्रदेव । हरिवंशपुराण 5.699-702 देखें रुचकवर