अवस्थित: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: सर्वार्थसिद्धि अध्याय संख्या ५/४/१७१/१ धर्मादीनि षडपि द्रव्याणि कदाच...) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[सर्वार्थसिद्धि]] अध्याय संख्या ५/४/१७१/१ धर्मादीनि षडपि द्रव्याणि कदाचिदपि षडिति इयत्त्वं नातिवर्तन्ते। ततोऽवस्थितानीत्युच्यते।<br>= धर्मादिक छहों द्रव्य कभी भी छह, इस संख्याका उल्लंघन नहीं करते, इसलिए वे अवस्थित कहे जाते हैं।< | [[सर्वार्थसिद्धि]] अध्याय संख्या ५/४/१७१/१ धर्मादीनि षडपि द्रव्याणि कदाचिदपि षडिति इयत्त्वं नातिवर्तन्ते। ततोऽवस्थितानीत्युच्यते।<br> | ||
<p class="HindiSentence">= धर्मादिक छहों द्रव्य कभी भी छह, इस संख्याका उल्लंघन नहीं करते, इसलिए वे अवस्थित कहे जाते हैं।</p> | |||
[[Category:अ]] | |||
[[Category:सर्वार्थसिद्धि]] |
Revision as of 03:42, 8 May 2009
सर्वार्थसिद्धि अध्याय संख्या ५/४/१७१/१ धर्मादीनि षडपि द्रव्याणि कदाचिदपि षडिति इयत्त्वं नातिवर्तन्ते। ततोऽवस्थितानीत्युच्यते।
= धर्मादिक छहों द्रव्य कभी भी छह, इस संख्याका उल्लंघन नहीं करते, इसलिए वे अवस्थित कहे जाते हैं।