चूड़ामणि: Difference between revisions
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<li class="HindiText"> इन्द्रनन्दि श्रुतावतार के अनुसार तुम्बुलाचार्य ने ‘कषायपाहुड़’ तथा ‘षटखण्डागम’ के आद्य 5खण्डों पर कन्नड़ भाषा में 84000 श्लोक प्रमाण चूड़ामणि नामक एक टीका लिखी थी। ई.1604 के भट्टाकलंक कृत कर्णाटक शब्दानुशासन में इसे ‘तत्त्वार्थ महा शास्त्र’ की 16000 श्लोक प्रमाण व्याख्या कही गई है। पं.जुगल किशोर जी मुख्तार तथा डा.हीरा लाल जी शास्त्री के अनुसार ‘तत्त्वार्थ महा शास्त्र’ का अभिप्रेत यहाँ उमास्वामी कृत तत्त्वार्थ सूत्र न होकर सिद्धान्त शास्त्र है। (जै./1/275-276)। </li> | |||
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== पुराणकोष से == | |||
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Revision as of 22:40, 22 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर। (देखें विद्याधर )।
- इन्द्रनन्दि श्रुतावतार के अनुसार तुम्बुलाचार्य ने ‘कषायपाहुड़’ तथा ‘षटखण्डागम’ के आद्य 5खण्डों पर कन्नड़ भाषा में 84000 श्लोक प्रमाण चूड़ामणि नामक एक टीका लिखी थी। ई.1604 के भट्टाकलंक कृत कर्णाटक शब्दानुशासन में इसे ‘तत्त्वार्थ महा शास्त्र’ की 16000 श्लोक प्रमाण व्याख्या कही गई है। पं.जुगल किशोर जी मुख्तार तथा डा.हीरा लाल जी शास्त्री के अनुसार ‘तत्त्वार्थ महा शास्त्र’ का अभिप्रेत यहाँ उमास्वामी कृत तत्त्वार्थ सूत्र न होकर सिद्धान्त शास्त्र है। (जै./1/275-276)।
पुराणकोष से
देखें परिशिष्ट - 1।