एवंभूतनय: Difference between revisions
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Revision as of 15:21, 19 August 2020
एक नय । जो पदार्थ जिस क्षण में जैसी क्रिया करता है उस क्षण में उसको उसी रूप में कहना, जैसे जिस समय इन्द्र ऐश्वर्य का अनुभव करता है उसी समय उसे इन्द्र कहना अन्य समय में नहीं । हरिवंशपुराण 58. 41-49