अनुग्रह: Difference between revisions
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<p class="SanskritText">राजवार्तिक अध्याय 4/20, 2/235/13 अनुग्रह इष्टप्रतिपादनम्। </p> | <p class="SanskritText">राजवार्तिक अध्याय 4/20, 2/235/13 अनुग्रह इष्टप्रतिपादनम्। </p> | ||
<p class="HindiText">= इष्ट प्रतिपादन करना अनुग्रह है।</p> | <p class="HindiText">= इष्ट प्रतिपादन करना अनुग्रह है।</p> | ||
<p class="SanskritText">राजवार्तिक अध्याय 5/17,3/460/25 द्रव्याणां | <p class="SanskritText">राजवार्तिक अध्याय 5/17,3/460/25 द्रव्याणां शक्त्यंतराविर्भावे कारणभावोऽनुग्रह उपग्रह इत्याख्यायते। </p> | ||
<p class="HindiText">= द्रव्य की अन्य शक्तियों के प्रगट होने में कारण भावको अनुग्रह या उपग्रह कहते हैं।</p> | <p class="HindiText">= द्रव्य की अन्य शक्तियों के प्रगट होने में कारण भावको अनुग्रह या उपग्रह कहते हैं।</p> | ||
Revision as of 16:16, 19 August 2020
सर्वार्थसिद्धि अध्याय /7/38/372 स्वपरोपकारोऽनुग्रहः। स्वोपकारः पुण्यसंचयः, परोपकारः सम्यग्ज्ञानादिवृद्धिः।
= अपना तथा दूसरे का उपकार सो अनुग्रह है। (दान विषैं) अपना उपकार तो पुण्य संचय है और परका उपकार सम्यग्ज्ञानादि की वृद्धि है।
(राजवार्तिक अध्याय 7/38,1/559/15)।
राजवार्तिक अध्याय 4/20, 2/235/13 अनुग्रह इष्टप्रतिपादनम्।
= इष्ट प्रतिपादन करना अनुग्रह है।
राजवार्तिक अध्याय 5/17,3/460/25 द्रव्याणां शक्त्यंतराविर्भावे कारणभावोऽनुग्रह उपग्रह इत्याख्यायते।
= द्रव्य की अन्य शक्तियों के प्रगट होने में कारण भावको अनुग्रह या उपग्रह कहते हैं।