अपार्थक: Difference between revisions
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<p class="SanskritText"> न्यायदर्शन सूत्र/5/2/10 | <p class="SanskritText"> न्यायदर्शन सूत्र/5/2/10 पोर्वापर्यायोगादप्रतिसंबंधार्थमपार्थम्।</p> | ||
<p class="HindiText">= जहाँ अनेक पद या वाक्योंका पूर्व-पर क्रमसे अन्वय न हो अतएव एक दूसरेसे मेल न खाता हुआ | <p class="HindiText">= जहाँ अनेक पद या वाक्योंका पूर्व-पर क्रमसे अन्वय न हो अतएव एक दूसरेसे मेल न खाता हुआ असंबंधार्थत्व जाना जाता है, वह समुदाय अर्थके अपाय (हानि) से `अपार्थक' नामक निग्रहस्थान कहलाता है। उदाहरण जैसे दश अनार, छ पूये, कुंड, चर्म, अजा, कहना आदि। वाक्यका दृष्टांत जैसे यह कुमारीका गैरुक (मृगचर्म) शय्या है उसका पिता सोया नहीं है। ऐसा कहना अपार्थक है।</p> | ||
<p>( श्लोकवार्तिक पुस्तक 4/न्या.209/387/19)।</p> | <p>( श्लोकवार्तिक पुस्तक 4/न्या.209/387/19)।</p> | ||
Revision as of 16:17, 19 August 2020
न्यायदर्शन सूत्र/5/2/10 पोर्वापर्यायोगादप्रतिसंबंधार्थमपार्थम्।
= जहाँ अनेक पद या वाक्योंका पूर्व-पर क्रमसे अन्वय न हो अतएव एक दूसरेसे मेल न खाता हुआ असंबंधार्थत्व जाना जाता है, वह समुदाय अर्थके अपाय (हानि) से `अपार्थक' नामक निग्रहस्थान कहलाता है। उदाहरण जैसे दश अनार, छ पूये, कुंड, चर्म, अजा, कहना आदि। वाक्यका दृष्टांत जैसे यह कुमारीका गैरुक (मृगचर्म) शय्या है उसका पिता सोया नहीं है। ऐसा कहना अपार्थक है।
( श्लोकवार्तिक पुस्तक 4/न्या.209/387/19)।