अशोकवन: Difference between revisions
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Revision as of 16:18, 19 August 2020
(1) संख्यात द्वीपों के अनंतर जंबूद्वीप के समान दूसरे जंबूद्वीप की पूर्व दिशा में स्थित विजयदेव के नगर से बाहर पच्चीस योजन आगे के चार वनों मे एक वन । यह बारह योजन लंबा और पाँच सौ योजन चौड़ा है । हरिवंशपुराण 5.397,421-426
(2) समवसरण के चार वनों मे प्रथम वन । यह लालरंग के फूल और पत्तों से युक्त अशोक के वृक्षों से विभूषित होता है । यहाँ प्राणियों का शोक नष्ट हो जाता है । महापुराण 22.180
(3) अयोध्या के राजा अजितंजय की कैवल्यभूमि । महापुराण 54. 94-95
(4) चंदना की क्रीडा-स्थली । महापुराण 75.37