आप्त मीमांसा: Difference between revisions
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Revision as of 16:19, 19 August 2020
तत्त्वार्थ सूत्रके मंगलाचरणपर आ.समंतभद्र (ई.श.2) द्वारा रचित 115 संस्कृत श्लोकबद्ध न्यायपूर्ण ग्रंथ है। इसका दूसरा नाम देवागम स्तोत्र भी है। इसमें न्यायपूर्वक भाववाद अभाववाद आदि एकांत मतोंका निराकरण करते हुए भगवान् महावीरमें आप्तत्वकी सिद्धि की है। इस ग्रंथ पर निम्न टीकाएँ उपलब्ध हैं - 1. आचार्य अकलंक भट्ट (ई.620-680) कृत 800 श्लोक प्रमाण `अष्टशती'। 2. आ. विद्यानंदि (ई.775-840) कृत 8000 श्लोक प्रमाण अष्टसहस्री। 3. आ. वादीभसिंह (ई.770-860) कृत वृत्ति। 4. आ. वसुनंदि (ई.1043-1053) कृत वृत्ति। 5. पं. जयचंद्र छावड़ा (ई.1829) द्वारा लिखी गयी संक्षिप्त भाषा टीका।
(जै.2/303); ( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 2/190)