उत्पला: Difference between revisions
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<p> मेरु पर्वत की पूर्व-दक्षिण (आग्नेय) दिशा में स्थित पचास योजन | <p> मेरु पर्वत की पूर्व-दक्षिण (आग्नेय) दिशा में स्थित पचास योजन लंबी, दस योजन गहरी और पच्चीस योजन चौड़ी वापी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5. 334-335 </span></p> | ||
Revision as of 16:20, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
सुमेरु पर्वतके नंदन आदि तीन वनोंमें स्थित पुष्करिणी - देखें लोक - 5.6।
पुराणकोष से
मेरु पर्वत की पूर्व-दक्षिण (आग्नेय) दिशा में स्थित पचास योजन लंबी, दस योजन गहरी और पच्चीस योजन चौड़ी वापी । हरिवंशपुराण 5. 334-335