उत्पलोज्ज्वलता: Difference between revisions
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Revision as of 16:20, 19 August 2020
मेरु पर्वत की पूर्व-दक्षिण दिशा में स्थित पचास योजन लंबी, दस योजन गहरी और पच्चीस योजन चौड़ी वापी । हरिवंशपुराण 5. 334-335