आध्यान: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<OL start=1 class="HindiNumberList"> <LI> [[महापुराण]] सर्ग संख्या २१/२२८ आध्यानं स्यादनुथ्यानम् अनित्यत्वादिचिन्तनः। ध्येयं स्यात् परमं तत्त्वम् अवाङ्मनसगोचरम्। </LI> </OL> | |||
= अनित्यत्वादि १२ भावनाओंका बार-बार चिन्तवन करना आध्यान कहलाता है तथा मन और वचन के अगौचर जो अतिशय उत्कृष्ट शुद्ध आत्मातत्त्व है वह ध्येय कहलाता है। | <p class="HindiSentence">= अनित्यत्वादि १२ भावनाओंका बार-बार चिन्तवन करना आध्यान कहलाता है तथा मन और वचन के अगौचर जो अतिशय उत्कृष्ट शुद्ध आत्मातत्त्व है वह ध्येय कहलाता है। </p> | ||
<OL start=2 class="HindiNumberList"> <LI> अध्यापनके अर्थमे - <b>देखे </b>[[अपध्यान]] /१। </LI> </OL> | |||
[[Category:आ]] | |||
[[Category:महापुराण]] |