कर्ण: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) इस नाम का एक पर्वत, मृगारिदमन ने इसी पर्वत पर | <p id="1"> (1) इस नाम का एक पर्वत, मृगारिदमन ने इसी पर्वत पर कर्णकुंडल नाम का नगर बसाया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 6.529 </span></p> | ||
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<p id="3">(3) राजा | <p id="3">(3) राजा पांडु और कुंती का अविवाहित अवस्था में उत्पन्न पुत्र । कुली के कुटुंबियों ने परिचय-पत्र, कुंडल और रत्न-कवच सहित इसे कालिंदी में बहा दिया था । चंपापुर के राजा आदित्य ने इसे प्राप्त कर पालनार्थ अपनी प्रिया राधा को सौंपा था । राधा ने इसे कर्ण-स्पर्श करते हुए देख ‘कर्ण’ नाम दिया था । <span class="GRef"> महापुराण 70. 109-114, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.37 </span>कु की के पिता अंधकवृष्णि ने इसकी जन्मवार्ता कान-कान तक पहुँची हुई जान इसे कर्ण कहा था । कुरुक्षेत्र मे इसने जरासंध का साथ दिया था । इसकी मृत्यु कृष्ण-जरासंध युद्ध में अर्जुन द्वारा हुई थी । <span class="GRef"> महापुराण 71. 76-77, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 7.261-296, 20. 263 </span></p> | ||
Revision as of 16:20, 19 August 2020
(1) इस नाम का एक पर्वत, मृगारिदमन ने इसी पर्वत पर कर्णकुंडल नाम का नगर बसाया था । पद्मपुराण 6.529
(2) कान । महापुराण 12.49
(3) राजा पांडु और कुंती का अविवाहित अवस्था में उत्पन्न पुत्र । कुली के कुटुंबियों ने परिचय-पत्र, कुंडल और रत्न-कवच सहित इसे कालिंदी में बहा दिया था । चंपापुर के राजा आदित्य ने इसे प्राप्त कर पालनार्थ अपनी प्रिया राधा को सौंपा था । राधा ने इसे कर्ण-स्पर्श करते हुए देख ‘कर्ण’ नाम दिया था । महापुराण 70. 109-114, हरिवंशपुराण 45.37 कु की के पिता अंधकवृष्णि ने इसकी जन्मवार्ता कान-कान तक पहुँची हुई जान इसे कर्ण कहा था । कुरुक्षेत्र मे इसने जरासंध का साथ दिया था । इसकी मृत्यु कृष्ण-जरासंध युद्ध में अर्जुन द्वारा हुई थी । महापुराण 71. 76-77, पांडवपुराण 7.261-296, 20. 263