कुरुविंद: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
|||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> अलका नगरी के राजा विद्याधर | <p> अलका नगरी के राजा विद्याधर अरविंद का द्वितीय पुत्र और हरिश्चंद्र का भाई । इसका पिता अरविंद दाह-ज्वर से पीड़ित था । अचानक एक छिपकली के रुधिर से पीड़ा कम हो जाने से उसने कुरुविंद से एक बावड़ी बनवाकर उसे रुधिर से भरवाने के लिए कहा । वह पाप से डरता था अत: उसने पिता के लिए एक बावड़ी बनवा कर उसे लाक्षारस से भरवा दिया । जब उसे इस वापी के रुधिर को कृत्रिमता का बोध हुआ तो वह उसे मारने दौड़ा और गिर जाने से अपनी ही छुरी से मरण को प्राप्त हुआ । इस प्रकार हुई पिता की मृत्यु से उसको दु:ख हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 5. 89-95, 102-116 </span></p> | ||
Line 5: | Line 5: | ||
[[ कुरुवंश | पूर्व पृष्ठ ]] | [[ कुरुवंश | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ कुरुविंदा | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: क]] | [[Category: क]] |
Revision as of 16:21, 19 August 2020
अलका नगरी के राजा विद्याधर अरविंद का द्वितीय पुत्र और हरिश्चंद्र का भाई । इसका पिता अरविंद दाह-ज्वर से पीड़ित था । अचानक एक छिपकली के रुधिर से पीड़ा कम हो जाने से उसने कुरुविंद से एक बावड़ी बनवाकर उसे रुधिर से भरवाने के लिए कहा । वह पाप से डरता था अत: उसने पिता के लिए एक बावड़ी बनवा कर उसे लाक्षारस से भरवा दिया । जब उसे इस वापी के रुधिर को कृत्रिमता का बोध हुआ तो वह उसे मारने दौड़ा और गिर जाने से अपनी ही छुरी से मरण को प्राप्त हुआ । इस प्रकार हुई पिता की मृत्यु से उसको दु:ख हुआ । महापुराण 5. 89-95, 102-116