चोरी: Difference between revisions
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> बिना दिये दूसरे का घन लेना । इसके दो भेद है नैसर्गिक और निमित्त । नैसर्गिक चोरी करोड़ों की | <p> बिना दिये दूसरे का घन लेना । इसके दो भेद है नैसर्गिक और निमित्त । नैसर्गिक चोरी करोड़ों की संपदा होने पर भी लोभ कषाय के कारण की जाती है । स्वाभाविक चोर चोरी किये बिना नहीं रह सकता । धन के अभाव के कारण स्त्री-पुत्र आदि के लिए की गयी चोरी निमित्तज होती है । दोनों ही प्रकार की चोरी बंध का कारण है । <span class="GRef"> महापुराण 59.178-186 </span></p> | ||
Revision as of 16:22, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से == देखें अस्तेय ।
पुराणकोष से
बिना दिये दूसरे का घन लेना । इसके दो भेद है नैसर्गिक और निमित्त । नैसर्गिक चोरी करोड़ों की संपदा होने पर भी लोभ कषाय के कारण की जाती है । स्वाभाविक चोर चोरी किये बिना नहीं रह सकता । धन के अभाव के कारण स्त्री-पुत्र आदि के लिए की गयी चोरी निमित्तज होती है । दोनों ही प्रकार की चोरी बंध का कारण है । महापुराण 59.178-186