जयाचार्य: Difference between revisions
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<p> | <p> अंतिम श्रुतकेवली भद्रबाहु के पश्चात् एक सौ तेरासी वर्ष की अवधि में हुए दशपूर्वधारी, द्वादशांग का अर्थ कहने मे कुशल, भव्यजनों के लिए कल्पवृक्ष, जैनधर्म के प्रकाशक ग्यारह आचार्यों में चतुर्थ आचार्य । <span class="GRef"> महापुराण 2.141-145,76.521-524 </span></p> | ||
Revision as of 16:23, 19 August 2020
अंतिम श्रुतकेवली भद्रबाहु के पश्चात् एक सौ तेरासी वर्ष की अवधि में हुए दशपूर्वधारी, द्वादशांग का अर्थ कहने मे कुशल, भव्यजनों के लिए कल्पवृक्ष, जैनधर्म के प्रकाशक ग्यारह आचार्यों में चतुर्थ आचार्य । महापुराण 2.141-145,76.521-524