टंकोत्कीर्ण: Difference between revisions
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( प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका/51 ) <span class="SanskritText">क्षायिकं हि ज्ञानं... | ( प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका/51 ) <span class="SanskritText">क्षायिकं हि ज्ञानं...तट्टंकोत्कीर्णन्यायावस्थित समस्तवस्तुज्ञेयाकारतयाधिरोपितनित्यत्वम् ।</span> =<span class="HindiText">वास्तव में क्षायिक (केवल) ज्ञान अपने में समस्त वस्तुओं के ज्ञेयाकार टंकोत्कीर्ण न्याय से स्थित होने से जिसने नित्यत्व प्राप्त किया है। </span> | ||
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Revision as of 16:23, 19 August 2020
( प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका/51 ) क्षायिकं हि ज्ञानं...तट्टंकोत्कीर्णन्यायावस्थित समस्तवस्तुज्ञेयाकारतयाधिरोपितनित्यत्वम् । =वास्तव में क्षायिक (केवल) ज्ञान अपने में समस्त वस्तुओं के ज्ञेयाकार टंकोत्कीर्ण न्याय से स्थित होने से जिसने नित्यत्व प्राप्त किया है।