दक्ष: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) | <p id="1"> (1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25. 166 </span></p> | ||
<p id="2">(2) तीर्थंकर मुनिव्रतनाथ का पौत्र । यह सुव्रत का पुत्र और इलावर्धन का पिता था । इसने इला नाम की रानी से उत्पन्न मनोहरी नाम की अपनी पुत्री पर मोहित होकर व्यभिचार किया था । इस कुकृत्य से असंतुष्ट होकर अपने पुत्र इलावर्धन को लेकर इसकी रानी इला दुर्गम स्थान में चली गयी थी । वहाँ उसने इलावर्धन नामक नगर बसाया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 21.46-49 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 17.1-18 </span></p> | <p id="2">(2) तीर्थंकर मुनिव्रतनाथ का पौत्र । यह सुव्रत का पुत्र और इलावर्धन का पिता था । इसने इला नाम की रानी से उत्पन्न मनोहरी नाम की अपनी पुत्री पर मोहित होकर व्यभिचार किया था । इस कुकृत्य से असंतुष्ट होकर अपने पुत्र इलावर्धन को लेकर इसकी रानी इला दुर्गम स्थान में चली गयी थी । वहाँ उसने इलावर्धन नामक नगर बसाया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 21.46-49 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 17.1-18 </span></p> | ||
Revision as of 16:24, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
हरिवंशपुराण/17/ श्लोक–मुनिसुव्रतनाथ भगवान् का पोता तथा सुव्रत राजा का पुत्र था (1-2)। अपनी पुत्री पर मोहित होकर उससे व्यभिचार किया। (15)।
पुराणकोष से
(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25. 166
(2) तीर्थंकर मुनिव्रतनाथ का पौत्र । यह सुव्रत का पुत्र और इलावर्धन का पिता था । इसने इला नाम की रानी से उत्पन्न मनोहरी नाम की अपनी पुत्री पर मोहित होकर व्यभिचार किया था । इस कुकृत्य से असंतुष्ट होकर अपने पुत्र इलावर्धन को लेकर इसकी रानी इला दुर्गम स्थान में चली गयी थी । वहाँ उसने इलावर्धन नामक नगर बसाया था । पद्मपुराण 21.46-49 हरिवंशपुराण 17.1-18