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[[धवला]] पुस्तक संख्या १/१,१,२४/२०१/४ गतिरुक्तलक्षणा, तस्याः वदनं वादः। प्रसिद्धस्याचार्यपरम्परागतस्यार्थस्य अनु पश्चात् वादोऽनुवादः।< | <p class="SanskritPrakritSentence">[[धवला]] पुस्तक संख्या १/१,१,२४/२०१/४ गतिरुक्तलक्षणा, तस्याः वदनं वादः। प्रसिद्धस्याचार्यपरम्परागतस्यार्थस्य अनु पश्चात् वादोऽनुवादः।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= गतिका लक्षण पहिले कह आये हैं। उसके कथन करनेको वाद कहते हैं। आचार्य परम्परासे आये हुए प्रसिद्ध अर्थका तदनुसार कथन करना अनुवाद है।</p> | <p class="HindiSentence">= गतिका लक्षण पहिले कह आये हैं। उसके कथन करनेको वाद कहते हैं। आचार्य परम्परासे आये हुए प्रसिद्ध अर्थका तदनुसार कथन करना अनुवाद है।</p> | ||
[[धवला]] पुस्तक संख्या १/१,१,१११/३४९/३ तथोपदिष्टमेवानुवदनमनुवादः।....प्रसिद्धस्य कथनमनुवादः।< | <p class="SanskritPrakritSentence">[[धवला]] पुस्तक संख्या १/१,१,१११/३४९/३ तथोपदिष्टमेवानुवदनमनुवादः।....प्रसिद्धस्य कथनमनुवादः।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= जिस प्रकार उपदेश दिया है, उसी प्रकार कथन करनेको अनुवाद कहते हैं। अथवा प्रसिद्ध अर्थके अनुकूल कथन करनेको अनुवाद कहते हैं।</p> | <p class="HindiSentence">= जिस प्रकार उपदेश दिया है, उसी प्रकार कथन करनेको अनुवाद कहते हैं। अथवा प्रसिद्ध अर्थके अनुकूल कथन करनेको अनुवाद कहते हैं।</p> | ||
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Revision as of 20:04, 24 May 2009
धवला पुस्तक संख्या १/१,१,२४/२०१/४ गतिरुक्तलक्षणा, तस्याः वदनं वादः। प्रसिद्धस्याचार्यपरम्परागतस्यार्थस्य अनु पश्चात् वादोऽनुवादः।
= गतिका लक्षण पहिले कह आये हैं। उसके कथन करनेको वाद कहते हैं। आचार्य परम्परासे आये हुए प्रसिद्ध अर्थका तदनुसार कथन करना अनुवाद है।
धवला पुस्तक संख्या १/१,१,१११/३४९/३ तथोपदिष्टमेवानुवदनमनुवादः।....प्रसिद्धस्य कथनमनुवादः।
= जिस प्रकार उपदेश दिया है, उसी प्रकार कथन करनेको अनुवाद कहते हैं। अथवा प्रसिद्ध अर्थके अनुकूल कथन करनेको अनुवाद कहते हैं।