अनेकत्व: Difference between revisions
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न. च. वृ. /६२/६५ अणेक्करूवा हु विविहभावत्था ।।६२।। ....अणेक्कं....पज्जपदो ।।६५।।< | <p class="SanskritPrakritSentence">न. च. वृ. /६२/६५ अणेक्करूवा हु विविहभावत्था ।।६२।। ....अणेक्कं....पज्जपदो ।।६५।।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= अनेक रूप अर्थात् विविध भावों या पर्यायोंमें स्थित ।।६२।। द्रव्य पर्यायकी अपेक्षा अनेक है ।।६५।।</p> | <p class="HindiSentence">= अनेक रूप अर्थात् विविध भावों या पर्यायोंमें स्थित ।।६२।। द्रव्य पर्यायकी अपेक्षा अनेक है ।।६५।।</p> | ||
[[आलापपद्धति]] अधिकार संख्या ६ गुणपर्यायाधिकार "एकस्याप्यनेकस्वभावोपलम्भादनेकस्वभावः।< | <p class="SanskritPrakritSentence">[[आलापपद्धति]] अधिकार संख्या ६ गुणपर्यायाधिकार "एकस्याप्यनेकस्वभावोपलम्भादनेकस्वभावः।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= एक द्रव्यके अनेक स्वभावकी उपलब्धि होनेके कारण वह अनेक स्वभाववाला है।</p> | <p class="HindiSentence">= एक द्रव्यके अनेक स्वभावकी उपलब्धि होनेके कारण वह अनेक स्वभाववाला है।</p> | ||
स. सा./आ./परि./शक्ति नं. ३२ एकद्रव्यव्याप्यानेकपर्यायमयत्वरूपा अनेकत्वशक्तिः। एक द्रव्यसे व्याप्य (व्यापने योग्य) अनेक पर्यायमयपनारूप अनेकत्व शक्ति है।<br> | स. सा./आ./परि./शक्ति नं. ३२ एकद्रव्यव्याप्यानेकपर्यायमयत्वरूपा अनेकत्वशक्तिः। एक द्रव्यसे व्याप्य (व्यापने योग्य) अनेक पर्यायमयपनारूप अनेकत्व शक्ति है।<br> | ||
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Revision as of 20:09, 24 May 2009
न. च. वृ. /६२/६५ अणेक्करूवा हु विविहभावत्था ।।६२।। ....अणेक्कं....पज्जपदो ।।६५।।
= अनेक रूप अर्थात् विविध भावों या पर्यायोंमें स्थित ।।६२।। द्रव्य पर्यायकी अपेक्षा अनेक है ।।६५।।
आलापपद्धति अधिकार संख्या ६ गुणपर्यायाधिकार "एकस्याप्यनेकस्वभावोपलम्भादनेकस्वभावः।
= एक द्रव्यके अनेक स्वभावकी उपलब्धि होनेके कारण वह अनेक स्वभाववाला है।
स. सा./आ./परि./शक्ति नं. ३२ एकद्रव्यव्याप्यानेकपर्यायमयत्वरूपा अनेकत्वशक्तिः। एक द्रव्यसे व्याप्य (व्यापने योग्य) अनेक पर्यायमयपनारूप अनेकत्व शक्ति है।