अरि: Difference between revisions
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[[धवला]] पुस्तक संख्या १/१,१,१/४२/९ नरकतिर्यक्कुमानुष्यप्रेतावासगताशेषदुःखप्राप्तिनिमित्तत्वादरिर्मोहः।< | <p class="SanskritPrakritSentence">[[धवला]] पुस्तक संख्या १/१,१,१/४२/९ नरकतिर्यक्कुमानुष्यप्रेतावासगताशेषदुःखप्राप्तिनिमित्तत्वादरिर्मोहः।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= नरक, तिर्यंच, कुमानुष और प्रेत इन पर्यायोंमें निवास करनेसे होनेवाले समस्त दुःखोंकी प्राप्तिका निमित्त कारण होनेसे मोहको `अरि' अर्थात् शत्रु कहते हैं।</p> | <p class="HindiSentence">= नरक, तिर्यंच, कुमानुष और प्रेत इन पर्यायोंमें निवास करनेसे होनेवाले समस्त दुःखोंकी प्राप्तिका निमित्त कारण होनेसे मोहको `अरि' अर्थात् शत्रु कहते हैं।</p> | ||
(विशेष <b>देखे </b>[[मोहनीय]] /१/५)<br> | (विशेष <b>देखे </b>[[मोहनीय]] /१/५)<br> | ||
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