धारण: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) यादववंशी राजा | <p id="1"> (1) यादववंशी राजा अंधकवृष्णि और सुभद्रा का सातवाँ पुत्र । <span class="GRef"> महापुराण </span>के अनुसार यह इन दोनों का छठा पुत्र था । कुंती और माद्री इसकी बहिनें थी । इसके पाँच पुत्र थे । <span class="GRef"> महापुराण </span>70.94.97, <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 18.12-15, 48.50, 50.118 </span></p> | ||
<p id="2">(2) लक्ष्मण का पुत्र । <span class="GRef"> पद्मपुराण 94.27-28 </span></p> | <p id="2">(2) लक्ष्मण का पुत्र । <span class="GRef"> पद्मपुराण 94.27-28 </span></p> | ||
<p id="3">(3) | <p id="3">(3) अंद्रकपुर नगर के मद्र गृहस्थ का पुत्र, नयसुंदरी का पति । पूर्वभव में यह हस्तिनापुर का उपास्ति गृहस्थ था । तब इसने दान देने का अधिक अभ्यास किया था और दान के प्रभाव से ही उसे यह पर्याय प्राप्त हुई थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 31.22, 26-27 </span>देखें [[ उपास्ति ]]।</p> | ||
<p id="4">(4) समवसरण में सभागृह के आगे आकाशस्फटिकमणि से निर्मित तीसरे कोट के दक्षिणी द्वार के आठ नामों में छठा नाम । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 57. 56, 58 </span></p> | <p id="4">(4) समवसरण में सभागृह के आगे आकाशस्फटिकमणि से निर्मित तीसरे कोट के दक्षिणी द्वार के आठ नामों में छठा नाम । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 57. 56, 58 </span></p> | ||
<p id="5">(5) कुरुवंशी एक नृप । यह धृत का पुत्र और महासर का पिता था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.29 </span></p> | <p id="5">(5) कुरुवंशी एक नृप । यह धृत का पुत्र और महासर का पिता था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.29 </span></p> | ||
<p id="6">(6) | <p id="6">(6) जरासंध का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 52.37 </span></p> | ||
Revision as of 16:26, 19 August 2020
(1) यादववंशी राजा अंधकवृष्णि और सुभद्रा का सातवाँ पुत्र । महापुराण के अनुसार यह इन दोनों का छठा पुत्र था । कुंती और माद्री इसकी बहिनें थी । इसके पाँच पुत्र थे । महापुराण 70.94.97, हरिवंशपुराण 18.12-15, 48.50, 50.118
(2) लक्ष्मण का पुत्र । पद्मपुराण 94.27-28
(3) अंद्रकपुर नगर के मद्र गृहस्थ का पुत्र, नयसुंदरी का पति । पूर्वभव में यह हस्तिनापुर का उपास्ति गृहस्थ था । तब इसने दान देने का अधिक अभ्यास किया था और दान के प्रभाव से ही उसे यह पर्याय प्राप्त हुई थी । पद्मपुराण 31.22, 26-27 देखें उपास्ति ।
(4) समवसरण में सभागृह के आगे आकाशस्फटिकमणि से निर्मित तीसरे कोट के दक्षिणी द्वार के आठ नामों में छठा नाम । हरिवंशपुराण 57. 56, 58
(5) कुरुवंशी एक नृप । यह धृत का पुत्र और महासर का पिता था । हरिवंशपुराण 45.29
(6) जरासंध का पुत्र । हरिवंशपुराण 52.37