निरोध: Difference between revisions
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( राजवार्तिक/9/27/5/625/26 )<span class="SanskritText"> गमनभोजनशयनाध्ययनादिषु क्रियाविशेषेषु अनियमेन वर्तमानस्य एकस्या: क्रियाया: कर्तृत्वेनावस्थानं निरोध इत्यवगम्यते।</span> =<span class="HindiText">गमन, भोजन, शयन, और अध्ययन आदि विविध क्रियाओं में भटकने वाली चित्तवृत्ति का एक क्रिया में रोक देना ( | ( राजवार्तिक/9/27/5/625/26 )<span class="SanskritText"> गमनभोजनशयनाध्ययनादिषु क्रियाविशेषेषु अनियमेन वर्तमानस्य एकस्या: क्रियाया: कर्तृत्वेनावस्थानं निरोध इत्यवगम्यते।</span> =<span class="HindiText">गमन, भोजन, शयन, और अध्ययन आदि विविध क्रियाओं में भटकने वाली चित्तवृत्ति का एक क्रिया में रोक देना (चिंता) निरोध है। </span> | ||
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Revision as of 16:26, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से == ( राजवार्तिक/9/27/5/625/26 ) गमनभोजनशयनाध्ययनादिषु क्रियाविशेषेषु अनियमेन वर्तमानस्य एकस्या: क्रियाया: कर्तृत्वेनावस्थानं निरोध इत्यवगम्यते। =गमन, भोजन, शयन, और अध्ययन आदि विविध क्रियाओं में भटकने वाली चित्तवृत्ति का एक क्रिया में रोक देना (चिंता) निरोध है।
पुराणकोष से
चौथी पृथिवी के प्रथम प्रस्तार में और इंद्रकबिल की दक्षिण दिशा में विद्यमान महानरक । हरिवंशपुराण 4.155