पद्मरथ: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) | <p id="1"> (1) कुंडपुर नगर का राजा । वसुदेव ने इस राजा की पुत्री को माल्य कौशल (माला गूँथने की कुशलता) से पराजित कर विवाहा था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 31. 3 </span></p> | ||
<p id="2">(2) पद्ममाली का पुत्र और सिंहयान का पिता । यह विद्याधर दृढ़रथ का वंशज था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.47-56 </span></p> | <p id="2">(2) पद्ममाली का पुत्र और सिंहयान का पिता । यह विद्याधर दृढ़रथ का वंशज था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.47-56 </span></p> | ||
<p id="3">(3) तीर्थंकर धर्मनाथ के पूर्व जन्म का नाम । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.21-24 </span></p> | <p id="3">(3) तीर्थंकर धर्मनाथ के पूर्व जन्म का नाम । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.21-24 </span></p> | ||
<p id="4">(4) अक्षौहिणी सेना से युक्त सिंहल देश का राजा इसने कृष्ण- | <p id="4">(4) अक्षौहिणी सेना से युक्त सिंहल देश का राजा इसने कृष्ण-जरासंध युद्ध में कृष्ण का साथ दिया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 50. 71 </span></p> | ||
<p id="5">(5) पांच सौ धनुष की ऊंची काया से युक्त एक चक्रवर्ती राजा । इसने | <p id="5">(5) पांच सौ धनुष की ऊंची काया से युक्त एक चक्रवर्ती राजा । इसने सीमंधर भगवान् से प्रद्युम्न का परिचय प्राप्त किया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 43.92-97 </span></p> | ||
<p id="6">(6) विद्याधरों की नगरी मेघपुर का स्वामी । <span class="GRef"> महापुराण 62.66 </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.26 </span></p> | <p id="6">(6) विद्याधरों की नगरी मेघपुर का स्वामी । <span class="GRef"> महापुराण 62.66 </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.26 </span></p> | ||
<p id="7">(7) | <p id="7">(7) धातकीखंड द्वीप के पूर्व मेरु से उत्तर की ओर विद्यमान अरिष्टनगरी के राजा । स्वयंप्रभ जिनेंद्र से धर्म श्रवण करके इन्होंने धनरथ नामक पुत्र को राज्य दे दिया और संयम धारण कर लिया । ये अंगों के वेत्ता हुए । इन्होंने तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया । अंत में सल्लेखना पूर्वक मरकर ये अच्युत स्वर्ग के पुष्पोत्तर विमान में इंद्र हुए । यहाँ से च्युत होकर ये अनंतनाथ तीर्थंकर हुए । <span class="GRef"> महापुराण 60.2-22 </span></p> | ||
<p id="8">(8) कुरुवंशी का एक राजा । यह सुभौम के बाद हुआ था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.24 </span></p> | <p id="8">(8) कुरुवंशी का एक राजा । यह सुभौम के बाद हुआ था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.24 </span></p> | ||
<p id="9">(9) हस्तिनापुर के राजा मेघरथ और उसकी रानी पद्मावती का पुत्र । यह विष्णुकुमार का बड़ा भाई था । पिता तथा भाई के दीक्षित हो जाने पर इसने राज्य किया । राजा सिंहबल को पकड़ लाने से प्रसन्न होकर बलि आदि | <p id="9">(9) हस्तिनापुर के राजा मेघरथ और उसकी रानी पद्मावती का पुत्र । यह विष्णुकुमार का बड़ा भाई था । पिता तथा भाई के दीक्षित हो जाने पर इसने राज्य किया । राजा सिंहबल को पकड़ लाने से प्रसन्न होकर बलि आदि मंत्रियों को इसने ही इच्छित वर के रूप में सात दिन का राज्य दिया था । राज्य पाकर बलि आदि मंत्रियों ने अकंपनाचार्य आदि मुनियों पर घोर उपसर्ग किया था । इस उपसर्ग का निराकरण इसके छोटे भाई मुनि विष्णुकुमार ने किया था । <span class="GRef"> महापुराण 70.274-298, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 20.14-26 </span></p> | ||
Revision as of 16:28, 19 August 2020
(1) कुंडपुर नगर का राजा । वसुदेव ने इस राजा की पुत्री को माल्य कौशल (माला गूँथने की कुशलता) से पराजित कर विवाहा था । हरिवंशपुराण 31. 3
(2) पद्ममाली का पुत्र और सिंहयान का पिता । यह विद्याधर दृढ़रथ का वंशज था । पद्मपुराण 5.47-56
(3) तीर्थंकर धर्मनाथ के पूर्व जन्म का नाम । पद्मपुराण 20.21-24
(4) अक्षौहिणी सेना से युक्त सिंहल देश का राजा इसने कृष्ण-जरासंध युद्ध में कृष्ण का साथ दिया था । हरिवंशपुराण 50. 71
(5) पांच सौ धनुष की ऊंची काया से युक्त एक चक्रवर्ती राजा । इसने सीमंधर भगवान् से प्रद्युम्न का परिचय प्राप्त किया था । हरिवंशपुराण 43.92-97
(6) विद्याधरों की नगरी मेघपुर का स्वामी । महापुराण 62.66 पांडवपुराण 4.26
(7) धातकीखंड द्वीप के पूर्व मेरु से उत्तर की ओर विद्यमान अरिष्टनगरी के राजा । स्वयंप्रभ जिनेंद्र से धर्म श्रवण करके इन्होंने धनरथ नामक पुत्र को राज्य दे दिया और संयम धारण कर लिया । ये अंगों के वेत्ता हुए । इन्होंने तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया । अंत में सल्लेखना पूर्वक मरकर ये अच्युत स्वर्ग के पुष्पोत्तर विमान में इंद्र हुए । यहाँ से च्युत होकर ये अनंतनाथ तीर्थंकर हुए । महापुराण 60.2-22
(8) कुरुवंशी का एक राजा । यह सुभौम के बाद हुआ था । हरिवंशपुराण 45.24
(9) हस्तिनापुर के राजा मेघरथ और उसकी रानी पद्मावती का पुत्र । यह विष्णुकुमार का बड़ा भाई था । पिता तथा भाई के दीक्षित हो जाने पर इसने राज्य किया । राजा सिंहबल को पकड़ लाने से प्रसन्न होकर बलि आदि मंत्रियों को इसने ही इच्छित वर के रूप में सात दिन का राज्य दिया था । राज्य पाकर बलि आदि मंत्रियों ने अकंपनाचार्य आदि मुनियों पर घोर उपसर्ग किया था । इस उपसर्ग का निराकरण इसके छोटे भाई मुनि विष्णुकुमार ने किया था । महापुराण 70.274-298, हरिवंशपुराण 20.14-26