पल्यंक: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
(No difference)
|
Revision as of 16:28, 19 August 2020
एक आसन । इस आसन में अंक में बाये हाथ की हथेली पर दायें हाथ की हथेली रहती है । दोनों हाथों की हथेलियाँ ऊपर की ओर होती हैं । आँखों को न तो अधिक खोला जाता है न बिल्कुल बंद किया जाता है । दृष्टि नासाग्र होती है । मुख बंद और शरीर सम, सरल तथा निश्चल होता है । यह आसन धर्मध्यान के लिए सुखकर होता है । महापुराण 21.60-62, 72, 34.188