भवविचय: Difference between revisions
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Revision as of 16:29, 19 August 2020
धर्मध्यान के दस भेदों में सातवाँ भेद । चारों गतियों में श्रमण करने वाले जीवों को मरने के बाद जो पर्याय प्राप्त होती है उसे भव कहते हैं । यह भव दु:खरूप है― ऐसा चिंतन करना भवविचय धर्मध्यान है । हरिवंशपुराण 56.47, 52