मनोगति: Difference between revisions
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Revision as of 16:31, 19 August 2020
(1) पश्चिम पुष्करार्ध के पश्चिम विदेहक्षेत्र में रूप्याचल की उत्तरश्रेणी के गण्यपुर नगर के स्वामी सूर्याभ और उसकी रानी धारिणी का दूसरा पुत्र, चिंतागति का अनुज तथा चपलगति का अग्रज । ये तीनों भाई अरिंजयपुर के राजा अरिंजय की पुत्री प्रीतिमति के साथ गतियुद्ध में पराजित हो जाने से दमवर मुनिराज के समीप दीक्षित हो गये थे । आयु के अंत में तीनों भाई माहेंद्र स्वर्ग के अंतिम पटल में सात सागर की आयु प्राप्त कर सामानिक जाति के देव हुए । हरिवंशपुराण 34.15-18, 32-33
(2) वज्रदंत चक्रवर्ती का एक विद्याधर दूत । यह गंदर्वपुर के राजा मंदरमाली और रानी सुंदरी का पुत्र तथा चिंतागति का भाई था । यह स्नेही, चतुर, उच्चकुलोत्पन, शास्त्रज्ञ और कार्य पटु था । यह और चिंतागति दोनो भाई अश्वग्रीव के भी दूत रहे । महापुराण 62.124-126
(3) एक शिविका-पालकी । तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ इसी पालकी पर आरूढ़ होकर सहेतुक दीक्षावन गये थे । महापुराण 53.41