मनोगुप्ति: Difference between revisions
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> त्रिविध गुप्तियों में प्रथम गुप्ति । यह अहिंसाव्रत की पाँच भावनाओं में प्रथम भावना है । इसमें मन को अपने अधीन रखा जाता है और रौद्रध्यान आर्तध्यान, मैथुनसेवन, आहार की अभिलाषा, इस लोक और परलोक | <p> त्रिविध गुप्तियों में प्रथम गुप्ति । यह अहिंसाव्रत की पाँच भावनाओं में प्रथम भावना है । इसमें मन को अपने अधीन रखा जाता है और रौद्रध्यान आर्तध्यान, मैथुनसेवन, आहार की अभिलाषा, इस लोक और परलोक संबंधी सुखों की चिंता इत्यादि विकल्पों का त्याग किया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 20.161, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 9.88 </span></p> | ||
Revision as of 16:31, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से == देखें गुप्ति ।
पुराणकोष से
त्रिविध गुप्तियों में प्रथम गुप्ति । यह अहिंसाव्रत की पाँच भावनाओं में प्रथम भावना है । इसमें मन को अपने अधीन रखा जाता है और रौद्रध्यान आर्तध्यान, मैथुनसेवन, आहार की अभिलाषा, इस लोक और परलोक संबंधी सुखों की चिंता इत्यादि विकल्पों का त्याग किया जाता है । महापुराण 20.161, पांडवपुराण 9.88