मल्लवादी: Difference between revisions
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<li> एक तार्किक | <li> एक तार्किक श्वेतांबराचार्य थे। आ. विद्यानंदि के समक्ष जो नयचक्र विद्यमान था वह संभवत: इन्हीं की रचना थी। इनके नयचक्र पर उप. यशोभद्रजी ने टीका लिखी है। कृतियाँ–नयचक्र, सन्मति टीका। समय–वि.श. 8-9 (ई.श. 8 का अंत); (न.च./प्र.2/प्रेमीजी)। </li> | ||
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Revision as of 16:31, 19 August 2020
- द्वादशार नयचक्र (प्रथम) के कर्ता एक आचार्य। समय-वि. सं. 414 (ई. 357), (जै./2/330)।
- एक तार्किक श्वेतांबराचार्य थे। आ. विद्यानंदि के समक्ष जो नयचक्र विद्यमान था वह संभवत: इन्हीं की रचना थी। इनके नयचक्र पर उप. यशोभद्रजी ने टीका लिखी है। कृतियाँ–नयचक्र, सन्मति टीका। समय–वि.श. 8-9 (ई.श. 8 का अंत); (न.च./प्र.2/प्रेमीजी)।