महापुंडरीक: Difference between revisions
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<li> रुक्मि पर्वत पर स्थित एक हृद जिसमें से नारी और रूपकूला ये दो नदियाँ निकली हैं। बुद्धि नामक देवी उसकी अधिष्ठात्री है–देखें [[ लोक#3.9 | लोक - 3.9]]।</li> | <li> रुक्मि पर्वत पर स्थित एक हृद जिसमें से नारी और रूपकूला ये दो नदियाँ निकली हैं। बुद्धि नामक देवी उसकी अधिष्ठात्री है–देखें [[ लोक#3.9 | लोक - 3.9]]।</li> | ||
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<p id="1"> (1) द्वादशांग श्रुत के दूसरे भेद अंगबाह्य का तेरहवाँ प्रकीर्णक । इनमें देवियों के उपपाद का निरूपण किया गया है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2.104, 10.137 </span></p> | |||
<p id="2">(2) छ: महाकुलाचलों के मध्यभाग में पूर्व से पश्चिम तक फैले छ: विशाल सरोवरों में पाँचवाँ सरोवर । यह नारी और रूप्यकूला नदियों का उद्गमस्थान है । बुद्धि देवी यही रहती है । <span class="GRef"> महापुराण 63.197-198, 200, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.120-121, 130-134 </span></p> | |||
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Revision as of 16:31, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- द्वादशांग श्रुत का 13वां अंग बाह्य–देखें श्रुत ज्ञान - III.1.5
- रुक्मि पर्वत पर स्थित एक हृद जिसमें से नारी और रूपकूला ये दो नदियाँ निकली हैं। बुद्धि नामक देवी उसकी अधिष्ठात्री है–देखें लोक - 3.9।
पुराणकोष से
(1) द्वादशांग श्रुत के दूसरे भेद अंगबाह्य का तेरहवाँ प्रकीर्णक । इनमें देवियों के उपपाद का निरूपण किया गया है । हरिवंशपुराण 2.104, 10.137
(2) छ: महाकुलाचलों के मध्यभाग में पूर्व से पश्चिम तक फैले छ: विशाल सरोवरों में पाँचवाँ सरोवर । यह नारी और रूप्यकूला नदियों का उद्गमस्थान है । बुद्धि देवी यही रहती है । महापुराण 63.197-198, 200, हरिवंशपुराण 5.120-121, 130-134