मैरेय: Difference between revisions
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Revision as of 16:33, 19 August 2020
उत्तरकुरु-भोगमूमि के निवासियों का एक पेय पदार्थ । यह मद्यांग जाति के कल्पवृक्षों से निकाला जाता था । यह सुगंधित और अभूत क समान स्वादिष्ट होता था । महापुराण 9.37