मंदुरा: Difference between revisions
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Revision as of 16:33, 19 August 2020
अश्वशाला । चक्रवर्ती भरतेश के काल में ये तालाबों के पास निर्मित होती थी । इसके प्रांगण में चरने योग्य घास भी रहता था । सवारी के लिए व्यवहृत घोड़े यहाँ रहते थे । इनमें घोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए उनकी देह पर अंगराग का लेप किया जाता था । महापुराण 29.111, 116