यक्षिल: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) | <p id="1"> (1) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में मगल देश के पलाशकूट ग्राम का एक वैश्य । यक्षदत्त इसका पिता और यक्षदत्ता माता थी । यक्ष इसका बड़ा भाई था । दयावान होने से इसका नाम सानुकंप प्रचलित हो गया था । <span class="GRef"> महापुराण 71.278-280 </span></p> | ||
<p id="2">(2) महाशुक्र स्वर्ग का एक देव । यह कृष्णा के पूर्वभव का छोटा भाई था । इस देव ने कृष्ण को सिंहवाहिनी और गरुडवाहिनी विद्याओं को सिद्ध करने की विधि बताई थी । <span class="GRef"> महापुराण 71.379-381 </span></p> | <p id="2">(2) महाशुक्र स्वर्ग का एक देव । यह कृष्णा के पूर्वभव का छोटा भाई था । इस देव ने कृष्ण को सिंहवाहिनी और गरुडवाहिनी विद्याओं को सिद्ध करने की विधि बताई थी । <span class="GRef"> महापुराण 71.379-381 </span></p> | ||
<p id="3">(3) | <p id="3">(3) जंबूद्वीप संबंधी भरतक्षेत्र के शालिग्राम का एक वैश्य । <span class="GRef"> महापुराण 71.390, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 62-67, </span>देखें [[ यक्ष#6 | यक्ष - 6]]</p> | ||
Revision as of 16:33, 19 August 2020
(1) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में मगल देश के पलाशकूट ग्राम का एक वैश्य । यक्षदत्त इसका पिता और यक्षदत्ता माता थी । यक्ष इसका बड़ा भाई था । दयावान होने से इसका नाम सानुकंप प्रचलित हो गया था । महापुराण 71.278-280
(2) महाशुक्र स्वर्ग का एक देव । यह कृष्णा के पूर्वभव का छोटा भाई था । इस देव ने कृष्ण को सिंहवाहिनी और गरुडवाहिनी विद्याओं को सिद्ध करने की विधि बताई थी । महापुराण 71.379-381
(3) जंबूद्वीप संबंधी भरतक्षेत्र के शालिग्राम का एक वैश्य । महापुराण 71.390, हरिवंशपुराण 60. 62-67, देखें यक्ष - 6